मैं अपनी हर ग़ज़ल में तेरा नाम लिखता हूँ ,
कभी गुलशन, कभी चिलमन, तो कभी अंजुम लिखता हूँ ।
साया बनके चलने का वादा किया था किसी जन्म में तुझसे,
मैं आज भी तुझे अपना हमनाम लिखता हूँ ।
मेरा हर लफ्ज़ महके तेरी खुशबू से,
आज एक ऐसा सूफियाना कलाम लिखता हूँ ।
मेरी जुस्तजू को तेरी चाहत का किनारा नसीब हो,
आज फिर इश्क का ऐसा इम्तिहान लिखता हूँ ।
मेरी हस्ती का राज़ सिर्फ जिसे हो मालूम,
आ, तुझे अपना एक राज़दान लिखता हूँ ।।
-- दिवांशु गोयल 'स्पर्श'
#चिलमन - पर्दा (यहाँ पर्दानशीं)
अंजुम - सितारे
जुस्तजू- तलाश, खोज
राजदान - सारे राज़ जानने वाला
कभी गुलशन, कभी चिलमन, तो कभी अंजुम लिखता हूँ ।
साया बनके चलने का वादा किया था किसी जन्म में तुझसे,
मैं आज भी तुझे अपना हमनाम लिखता हूँ ।
मेरा हर लफ्ज़ महके तेरी खुशबू से,
आज एक ऐसा सूफियाना कलाम लिखता हूँ ।
मेरी जुस्तजू को तेरी चाहत का किनारा नसीब हो,
आज फिर इश्क का ऐसा इम्तिहान लिखता हूँ ।
मेरी हस्ती का राज़ सिर्फ जिसे हो मालूम,
आ, तुझे अपना एक राज़दान लिखता हूँ ।।
-- दिवांशु गोयल 'स्पर्श'
#चिलमन - पर्दा (यहाँ पर्दानशीं)
अंजुम - सितारे
जुस्तजू- तलाश, खोज
राजदान - सारे राज़ जानने वाला
Very nice!! :)
ReplyDeleteThanks Boss...:)
Deletegood one..
ReplyDeleteThanks prashant...!! :)
Deletemast hai.....:)))
ReplyDeleteThanks Damini..:)
DeleteWowwwwwwwwwww!
ReplyDeleteI Really Like the Profoundness of ur thoughts ! Nice work! :)
ReplyDeleteThanks Neha...! :)
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