आज एक टूटी सी कलम मिली बस्ते में,
ये शायद वही है,
जिससे हम साथ लिखा करते थे,
मेरी कविता के नीचे अपना नाम भी,
तुमने इसी से लिखा था शायद,
तुम्हारे बिना कुछ उदास सी है आज,
कहो तो वो कलम भिजवा दूँ ......
क्या इतनी व्यस्त हो गयी हो तुम,
अब तो दुपहरी का बहाना भी बनाने लगी हो,
मेरी हंसाने की अदा की तो तुम कायल थी,
उसी का क़र्ज़ उतार दिया होता,
एक ख़त में अपनी हंसी भिजवा दी होती,
अभी भी फुर्सत के दो पल पड़े हैं मेरे पास,
कहो तो वो पल भिजवा दूँ .......
साथ बैठकर देखे वो सपने तो नहीं भूलीं न तुम,
बाल अभी भी खुले रखती हो या चोटी बाँध ली है,
एक रुपया उधार है तुम्हारा मुझ पे,
लौटने के बहाने मिलेगा किसी रोज़ 'स्पर्श',
मेरा दिया दुपट्टा ओढ़ के आना,
फिलहाल तो कुछ यादें ही अब शेष हैं मेरे पास,
कहो तो वो यादें भिजवा दूँ .........!!!
- दिवांशु गोयल 'स्पर्श'
ये शायद वही है,
जिससे हम साथ लिखा करते थे,
मेरी कविता के नीचे अपना नाम भी,
तुमने इसी से लिखा था शायद,
तुम्हारे बिना कुछ उदास सी है आज,
कहो तो वो कलम भिजवा दूँ ......
क्या इतनी व्यस्त हो गयी हो तुम,
अब तो दुपहरी का बहाना भी बनाने लगी हो,
मेरी हंसाने की अदा की तो तुम कायल थी,
उसी का क़र्ज़ उतार दिया होता,
एक ख़त में अपनी हंसी भिजवा दी होती,
अभी भी फुर्सत के दो पल पड़े हैं मेरे पास,
कहो तो वो पल भिजवा दूँ .......
साथ बैठकर देखे वो सपने तो नहीं भूलीं न तुम,
बाल अभी भी खुले रखती हो या चोटी बाँध ली है,
एक रुपया उधार है तुम्हारा मुझ पे,
लौटने के बहाने मिलेगा किसी रोज़ 'स्पर्श',
मेरा दिया दुपट्टा ओढ़ के आना,
फिलहाल तो कुछ यादें ही अब शेष हैं मेरे पास,
कहो तो वो यादें भिजवा दूँ .........!!!
- दिवांशु गोयल 'स्पर्श'
Nice. . . :)
ReplyDeleteThanks...:)
DeleteThat's really amazing! Awesome idea!
ReplyDeleteLoad Junction, load matching Services, Find Truck Loads, Find Freight and Trucks